किसी भी कंपनी का शेयर्स का मौलिक विश्लेषण (Stock Fundamental Analysis) उसके भविष्य में होने वाली गतिविधिओ को तय करता है और बताता है की कंपनी अपने काम से किस मुकाम पर है कंपनी कितनी मजबूत है।

      आज हम आपको बताते है की किसी भी स्टॉक का मौलिक विश्लेषण (Fundamental Analysis in Hindi) किस प्रकार से किया जाता है इसके बारे में पूरी जानकारी के साथ सीखेगे ताकि हम भविष्य में किसी भी Fundamental Analysis of Stock आसानी से कर सके।

       कोई भी इन्वेस्टर जब किसी कंपनी के शेयर खरीदता है तो वह उस कंपनी से यही उम्मीद करता है की ये कंपनी आने वाले कुछ सालों के अंदर एक अच्छा Profit कमा कर दे शेयर खरीदने से पहले उस कंपनी पर संपूर्ण रिसर्च करनी होती है

  • फंडामेंटल  एनालिसिस  (Fundamental Analysis)
  • टेक्निकल  एनालिसिस (Technical Analysis) 
  • हमारा प्रयत्न दोनों प्रकार के  एनालिसिस  को समझ कर अच्छा फायदा हासिल करना होना चाहिए। लेकिन फंडामेंटल  एनालिसिस में बैलेंस सीट तिमाही रिजल्ट न्यूज़ इत्यादि का अपडेट होना जरुरी है  इसलिए हम  अधिक जोर टेक्नीकल  एनालिसिस  पर दिया जाता है जो की स्टॉक के चार्ट पे की जाती है।

फंडामेन्टल एनालिसिस  (Fundamental Analysis)

अब हम फंडामेन्टल एनालिसिस  के विषय में संक्षिप्त में चर्चा करते है। इस प्रकार के एनालिसिस में कंपनी के फायदे-नुकसान को दर्शाने वाली बॅलेन्स शीट के अभ्यास के आधार पर वह शेअर्स निवेश के लिए योग्य है या नहीं इसका अंदाजा लगाया जाता है। इस प्रकार का एनालिसिस  हमें किसी भी कंपनी की गुणवत्ता का नापतोल करने में मदद करती है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि एक बार कंपनी की फंडामेन्टल जाँच लेने के बाद निवेश किया तो वह फायदेमंद ही होता है। लंबे समय  की दृष्टी से किए निवेश में ऐसा जरूर होता है क्योंकि हर समय अच्छा परिणाम देने वाले कंपनी का भाव जरूर बढ़ता है। परंतु जो लोग कम समय के लिए निवेश करते है उनका सिर्फ कंपनी के परिणाम के आधार पर उसमें निवेश किया तो कठिण परिस्थिति का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि जरूरी नहीं की अच्छा परिणाम जल्द ही आ जाएगा। इसलिए कम समय के लिए निवेश करना हो तो टेक्नीकल एनालिसिस  का उपयोग करना सही  होता है।

दुसरी तरह इसे एक्साम्प्लेस से  समझना हो तो ऐसा कहा जा सकता है कि अगर किसी कंपनी के शेअर्स गाड़ी है तो उस कंपनी का फंडामेन्टल उस गाड़ी का ईंधन होता है और टेक्नीकल एनालिसिस  उस गाड़ी का ड्राइवर  होता है।

चाहे जितनी अच्छी गाड़ी हो परंतु उसमें उपयोग होने वाले ईंधन की गुण खराब हो तो गाड़ी ढीक तरह से नहीं चल सकती। साथ ही अच्छा ड्राइवर न होने  पर भी गाड़ी ढीक तरह से नहीं चल सकती।

अब गाडी का ईंधन याने की सकारात्मक परिबलों के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है कि गाड़ी अच्छी दूरी तय कर सकती है पर वह कितने जल्द दौड़ेगी, कहा पर रूकेगी, कहा से घुमकर फिर से आगे जाएगी, रास्ते में कितने  घुमाव लेकर आगे चलेगी इसका आधार उसके ड्राइवर पर होता है।

जैसे गाड़ी में साधा पेट्रोल है या हाय-ओकटेन पेट्रोल है वह गाड़ी की कार्य क्षमता पर परिणाम करता है। उसी तरह से अच्छा परिणाम देने वाली कंपनी के शेअर्स की चाल सिधी और लंबी हो सकती है। ऐसे संयोजन वाली कंपनी के शेअर्स ढूंढने का प्रयत्न कीजिए। टेक्नीकल एनालिसिस  की मदद से कई बार सामान्य शेअर्स में भी विविध स्तरों की जाच करने के बाद कम समय में फायदा लिया जा सकता है। इसलिए कौन सी परिस्थिति में क्या करना चाहिए इस सवाल का जवाब टेक्नीकल एनालिसिस के माध्यम से मिल सकता है।

समझ ने की बात यह है कि अच्छी गाड़ी के लिए अच्छा ड्राइवर  मिलना चाहिए। वैसे भी खटारा और मर्सिडीज में से ड्राइवर को  चुनाव  करना हो तो वह मर्सिडीज को ही पसंद करेगा। उसी तरह से अच्छे शेअर्स को चलने का बल अपने आप ही मिला हुआ नज़र आता है।

गाड़ी की पहचान करने के लिए जैसे कि वह मर्सिडीज है या खटारा आपको फंडामेन्टल एनालिसिस की मदद लेनी पड़ती है। टेक्नीकल परिबल जैसे कि ड्राइवर  के आधार पर तो मर्सिडीज भी चलती है और खटारा भी चलती है। पर जब खराब समय आता है तब मर्सिडीज में आप बैठे हो तो तकलीफ काम होती  है। पर खटारा आपको दगा दे सकता है और आपके साथ अन  होनी  की संभावना होती है।

खराब माहोल में मर्सिडीज याने अच्छे शेअर्स की स्पीड धीमी होत हुए नजर  आती ही  पर खटारा तो ज्यादातर नुकसान के गडढे में गिरता हुआ हे और संभव है कि उसे कोई भी ड्राइवर  हाथ देने के लिए राजी न हो। 

जैसे मर्सिडीज में होने पर रास्ता जब ठिक नहीं होता तब कम तकलीफ का अनुभव होता है। उसी तरह से अच्छे शेअर्स में बाज़ार में आने वाली अफरातफरी में दुसरे शेअर्स की तुलना में कम उथलपुथल नज़र आती है और उस समय में भी उन पर नहीं के समान परिणाम नज़र आता है।

अच्छी गाड़ी में सवार होने पर दुर्घटना हुई तो भी जान को कम खतरा होता है। पर साधारण गाड़ी में बैठे होने पर दुर्घटना हुई तो अपनी जान पर भी बन सकती है। उसी तरह से अच्छे शेअर्स के भाव में गिरावट हुई तो भी वह समय के अनुसार जल्द ही एक समान हो जाती है। पर जब खराब शेअर्स में ऐसी स्थिति आती है तब अपने मेहनत की पूंजी पर पानी फिर सकता है।

इसलिए निवेश का निर्णय लेने से पहले फंडामेन्टल एनालिसिस  के आधार पर अच्छे गुणवत्ता वाले शेअर्स को अलग निकालकर रख दीजिए। उसके बाद टेक्नीकल एनालिसिस के  द्वारा उसके ट्रेन्ड सुधार की शुरूआत और उसकी तेजी आदि महत्वपूर्ण परिबलों को स्पष्ट करने के बाद ही निवेश करना चाहिए। सस्ते मिलने वाले शेअर्स के पिछे नहीं दौड़ना चाहिए। हमेशा गुणवत्ता पर अधिक जोर देना चाहिए।

 

टेक्नीकल एनालिसिस (Technical Analysis)

विविध शेअर्स के चार्ट के आधार पर जो अभ्यास किया जाता है उसे टेक्नीकल  एनालिसिस कहते है। ऐसे चार्ट किसी 'नक्शे' की तरह से कार्य करते है। आप गाड़ी लेकर चल पड़े और अनजान रास्ते पर नक्शा लिए बगैर निकले तो गुम हो जाने का डर और गलत रास्ते पर जाने का डर होता है। उसी तरह से चार्ट के अभ्यास के बगैर निवेश किया तो वह अंधेरे में गोली चलाने के बराबर है। टेक्नीकल  एनालिसिस किसी भी शेअर्स में कैसी स्थिति है। इसका चित्र आपके सामने खड़ा करता है और टाईमिंग करने में आपको मदद करता है। जो लोग खास करके कम समय वाले निवेश के कम समय  के ट्रेडर है उनके लिए तो चार्ट का अभ्यास बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

उदा. लम्बे समय  के निवेश में जब तक महत्व का स्तर परिपूर्ण होता है तब तक उसमें नजर आने वाले कम समय  की उतार-चढ़ाव की अवगणना की जा सकती है। पर कम समय  के ट्रेडर के लिए जरूरी है कि उन्हे खबर होनी चाहिए कि गिरावट का सपोर्ट कहा पर है और चढ़ाव का रेसिस्टन्स कहा पर है। यह सभी जानकारी चार्ट पर से हासिल की जा सकती है। जो चार्ट के व्यवस्थित अभ्यास पर से विविध स्तरो को जानकर उसके अनुसार ट्रेडिंग किया तो नुकसान  की संभावना नहीं के प्रमाण में होती है और मुनाफे वाले ट्रेडिंग की। मात्रा बढ़ जाती है।

शेअर बाज़ार को आप युद्ध भूमि के समान समझे तो टेक्नीकल एनालिसिस  शस्त्रों की तरह उपयोग में आता है। युद्ध भूमि पर निःशस्त्र उतर कर लढने का प्रयास किया तो उसका क्या परिणाम होगा यह हम सभी को अच्छी तरह से पता है। उसी तरह से टेक्नीकल एनालिसिस  पर प्रभुत्व हासिल किए  बगैर शेअर बाज़ार में उतरना यह शस्त्रों के बगैर रणभूमि पर जाने के समान है। ऐसा करने में वीरता नहीं पर मूर्खता जरूर साबित हो सकती है। इसलिए शेअर । बाज़ार में जितना हो टेक्नीकल एनालिसिस पर जोर  बहुत ही जरूरी है। ऐसा न करने से आपको नुकसान हुआ तो गलती बाज़ार की या अन्य किसी की नहीं बल्कि आप की ही समझी जाती है।

टेक्नीकल एनालिसिस पर ही अधिक जोर क्यो दिया जाता है?

आपने हाल ही में देखा है उस तरह से कंपनी के फंडामेन्टल्स के आधार पर निवेश करना भी जोखिम भरा हो सकता है। कंपनियाँ झुड़ा या गलत  मुनाफा दिखलाकर उनके शेअर्स के भाव को आसमान पर पंहुचा  सकते है और एक बार यह हकिकत बाहर आने के बाद उनका भाव जमीन पर आ सकता है।

ऐसे वक्त क्या लगता है इस सवाल का जवाब कोई भी नहीं दे सकता। ऐसे  वक्त उस सवाल का कोई भी अर्थ नहीं होता। पर अगर आप चार्ट देखते हो तो महत्व का कोई स्तर टूटा तो जल्दी ही उसकी जानकारी मिल जाती है । उस समय दूसरी किसी भी बात का विचार किए बिना उस शेअर्स से बाहर निकलना चाहिए। उसमें ही आपका हित होता है।

सभी कंपनियाँ ऐसे अकाऊंट से फसाया नहीं करती। इसलिए फंडामेंटल एनालिसिस  की अवगणना नहीं करनी चाहिए। हमें तो दोनों  का अच्छा परीणाम हासिल करना है और कोई भी एक तरीके से प्रभावित होकर गलत निर्णय नहीं लिया जाएगा इस बात का ध्यान रखना चाहिए । 

ध्यान देने की बात यह है कि फंडामेन्टल्स चाहे जितने अच्छे दिखते हो पर उस में जो कड़ीनाईयों होती है उसका अंदाजा तो ज्यादातर चार्ट ही देते है। आप भले दुनिया  की सबसे अच्छी गाड़ी में बैठे हो पर अपने देखा , की  वह खराब हुई या बंद हुई तो ऐसा कैसे हुआ अथवा ऐसा होना संभव नहीं है ऐसा विचार करने के लिए आपके पास समय नहीं होता। उसमें से तुरंत बाहर निकल जाना चाहिए।

टेक्नीकल एनालिसिस  का मूल आधार किसी भी कंपनी के शेअर्स के भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव के आधार पर निर्माण किए चार्ट के अभ्यास पर उपलब्ध है।

यह विविध प्रकार के चार्ट और उसके साथ उपयोग में आने वाले विविध इंडिकेटर्स  के अभ्यास के आधार पर किसी भी समय निवेश योग्य है या नहीं वह तय किया जाता है।

किसी शेअर्स का भाव किसी निश्चित टाईम फ्रेम में लम्बे समय  के निवेशकों के विषय में वह उसके कम समय  के टॉप और बॉटम पर ध्यान देकर लम्बे समय  की ट्रेन्ड के अनुसार भी चल सकते है। जिसमें सिर्फ लम्बे समय  के सपोर्ट को ध्यान में रखकर शेअर्स जमाकर रखने पड़ते है इस लम्बे समय   का ट्रेन्ड रिवर्सल होने पर शेअर्स में मिलने वाला मुनाफा लेकर उसमें से बाहर निकलना चाहिए। उसमें समय का अभाव हो तो कम समय  का ट्रेडिंग करने से दूर ही रहना चाहिए।  बाकी टेक्नीकल एनालिसिस आपको सभी मौके प्रदान करता है।

किसी भी समय किस शेअर्स के भाव में कितनी बढ़त हो सकता है, गिरावट कहा पर सपोर्ट ले सकती है, बढ़त के बाद कौनसे स्तर पर रेसिस्टन्स आ सकता है, भाव में बढ़त की और कितनी संभावना है। वगैरे चार्ट और उसमें निर्माण होने वाले रचनाओं के एनालिसिस  पर से जाना जा सकता है।

एस विविध परिबलों को साथ लेकर उसके आधार पर मिलने वाले खरीदी और बिक्री के सिग्नल का कायदे से उपयोग  किया गया तो लम्बे समय  मेंअच्छा फायदा होता है।

जैसे आप ट्रैफिक सिग्नल के नियमों का पालन करते है उस तरह से एनालिसिस  के आधार पर मिलने वाले सिग्नल का भी उपयोग  किया गया तो नुकसान से बचा जा सकता है।

इस प्रकार के एनालिसिस में बदलने वाली परिस्थिति में मिलने वाले बहुत से  सिग्नल को जाँचने की कुशलता आपके पास होनी आवश्यक है। ऐसा सिग्नल  मिलने पर कायदे से उसका उपयोग करने की आदत भी होना जरूरी है।

टेक्नीकल एनालिसिस के उपयोग से आप योग्य समय में शेअर्स में एंटर  होने का और बाहर निकलने का संकेत प्राप्त करके अपनी मुनाफा शक्ती  बढ़ा सकते है।

किसी अच्छे शेअर्स में अनेक वर्षो तक  निवेश वैसे ही रखकर मुनाफा लिया जा सकता है। पर अगर समय के अनुसार तैयार  होने वाले  विविध सायकल और रचनाओं को समझकर उनका फायदा लिया जा सकता है। आपको मिलता मुनाफा प्रतिशत की दृष्टी से कई गुना बढ़ सकता है।

इतना हमेशा ध्यान में रखीए की टेक्नीकल एनालिसिस के ज्ञान के बगैर बाज़ार में उतरना याने अंधारे में तीर चलाने के समान है।

दुसरे प्रकार से बताना हो तो इस जानकारी के बगैर शेअर बाज़ार में उतरना। यह शस्त्रों के बगैर युद्धभूमि पर उतरने के समान है।

हम बाज़ार में होने वाले मॅनिप्युलेशन को ध्यान में रखकर ऐसा कह सकते है कि इस जानकारी के बिना निवेश करने वाले हर समय घाटा कहते है और उसका दोष बाज़ार को देते है।

जैसे पहले कहा गया है उस तरह से यह बाज़ार एक युद्ध  भूमि ही है। पर आपने अगर ज्ञानरूपी सुरक्षा कवच और शस्त्रों को साथ लिए बिना  विजय मिलने की आशा करते हो तो वह संभव नहीं है।

यह ज्ञान अंधारे में प्रकाश के समान होता है।

गलती तो सभी करते है। पर जो व्यक्ति स्वयं की गलती को जानकर ढीक  समय पर उसको सुधारता है वही व्यक्ति जीवन रूपी संग्राम में और इस बाज़ार में लम्बे समय  के लिए जमकर मुनाफा कमाने की आशा रख सकता है।

चार्ट का उपयोग किस लिए किया जाता है?

  • चार्ट हमें सक्षम चित्र के स्वरूप में किसी भी शेअर्स में क्या हो रहा है।

इसकी जानकारी हमारे सामने पेश करता है। 

  • चार्ट के अभ्यास के बगैर निवेश करना याने नक्शे के बिना अनजान देश में घुमने के समान है। 
  •  चार्ट का अभ्यास आपको हर कोई शेअर्स किसी भी समय वह ऐतिहासिक दृष्टी से टॉप पर है या बॉटम पर है, ओवरबॉट है या ओवर सोल्ड   है वगैरे बातों को स्पष्ट करने में मदद करते है। 
  • चार्ट का उपयोग टाईमिंग करने के लिए होता है यह तरकीब कम समय  के निवेशकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।

टेक्नीकल एनालिसिस  और फंडामेन्टल  एनालिसिस  के बिच का फर्क 

  • फंडामेन्टल  एनालिसिस  किसी भी स्तर पर जो भाव है वह कैसा है इसके आधार पर अधिक जोर देता है। तो टेक्नीकल  एनालिसिस मात्र किसी भी स्तर पर भाव क्या है इसके आधार पर लेन-देन करता है। 
  • टेक्नीकल  एनालिसिस  में डिमांड और सप्लाय के आधार पर जो भाव चल रहा है उसका अभ्यास होता है। 
  • फंडामेन्टल  एनालिसिस  में हर कोई भाव कैसा है उसके परिबलों का अभ्यास करता है।  
  • टेक्नीकल  एनालिसिस  का कायदे से अभ्यास और प्रयोग किया गया तो सिमित   नुकसान और असीमित  मुनाफे की संभावना हमेशा होती है। जो हमरे और आप के लिए अछा प्रॉफिट देने की संभावना  होती है ।


 


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